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संवाद फ़िल्म Film by SAMVAD

अक्षर की बरसात में भरे ज्ञान भंडार

'संवाद', रांची ने एक फिल्म बनाई है - अक्षर की बरसात में भरे ज्ञान भंडार। करीब 9 मिनट की यह फिल्म है। फ़िल्म का निर्माण संवाद द्वारा क्राय, कोलकाता के सहयोग से हुआ है। यह एक डाक्यूमेंटरी फ़िल्म है।
https://youtu.be/ngXgvLoYYQo

शिक्षा, समाज और सत्ता

फ़िल्म शिक्षा,समाज और सत्ता का निर्माण संवाद द्वारा क्राय,कोलकाता के सहयोग से हुआ है। यह एक डाक्यूमेंटरी फ़िल्म है। यह फिल्म सब‍ को शिक्षा समान शिक्षा के‍‍ सिद्धांत की वकालत करता है।
https://youtu.be/HjxV49okHmM

जॉब चाहिये हमें हमारा ख्वाब चाहिये

फ़िल्म चाहिये हमें हमारा ख्वाब चाहिये का निर्माण संवाद द्वारा जुड़ाव एवं CWS, हैदराबाद के सहयोग से हुआ है। इस डाक्यूमेंटरी फ़िल्म में यह दर्शाया गया है कि मनरेगा के माध्यम से हम अपने गांव, समाज को कैसे आत्मनिर्भर बना सकते हैं। तथा रोजगार के लिए गांव से होने वाले पलायन को रोक कर किसानों को मजदूर बनने से कैसे रोका जा सकता है।
http://www.youtube.com/watch?v=v1vR4xTrugo

बैगा : विकास की राह पर

डाक्यूमेंटरी फ़िल्म बैगा : विकास की राह पर का निर्माण संवाद द्वारा ऑक्सफेम (इंडिया) ट्रस्ट के सहयोग से हुआ है। मध्य प्रदेश के डिन्डौरी जिला के बैगा जनजाति के आ‍जीविका एवं आत्मनिर्भरता पर केन्द्रित यह एक डाक्यूमेंटरी फ़िल्म है।
https://youtu.be/CX3Q3bOmslk

आपन पाइन ,आपन माछ

मधुबनी के अन्धराथारी प्रखण्ड में मछुवारा समुदाय की महिलाओं को तालाब पर अधिकार दिलाने की पहल स्वयंसेवी संस्था 'सखी' ने की। 'सेंटर फॉर एक्वाटिक लाइवलीहुड - जलजीविका' द्वारा प्रस्तुत तथा 'सखी' द्वारा निर्मित यह फिल्म 'सखी' और मछुवारा महिलाओं के संयुक्त संघर्ष का दस्तावेज है जिसमें लाभुकों ने महिला संगठन गठित होने से लेकर उनके जीवन में आये सार्थक परिवर्तन की दास्तां खुद अपनी जुबानी बयां की है।
https://youtu.be/CX3Q3bOmslk

एक पहल

'स्मॉल ग्रुप इनीशिएटिव' कार्यक्रम के तहत संवाद द्वारा  ग्रामसभा सशक्तीकरण, जैविक खेती को बढ़ावा देकर रासायनिक खाद पर किसान की निर्भरता कम करना, परंपरागत सांस्कृतिक अभिक्रम के अंतर्गत 'अखड़ा' को पुनर्जीवित कर पारंपरिक नृत्य-गीत तथा वाद्य यंत्रों का संरक्षण-संवर्द्धन तथा स्वयं सहायता समूह और किसान क्लब का निर्माण कर अल्प बचत एवं जीविकोपार्जन हेतु रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण प्रदान कर, पारिवारिक आय वृद्धि में सहयोग करने की पहल की गई है।
https://www.youtube.com/watch?v=X6guOYmApSU

निशाने पर अकाल

सूखा सिर्फ प्राकृतिक परिघटना नहीं है।
लंबी अवधि तक पानी की भीषण कमी और सुखाड़ का परिणाम होता है- अकाल! इसे भी प्राकृतिक परिघटना कह दिया जाता है जबकि अकाल एक आर्थिक परिघटना है। गरीब जनता 'प्यासमरी' के साथ-साथ 'भुखमरी' का शिकार होती है। किसान और ग्रामीण खेतिहर मजदूर रोजगार की तालश में शहरों की ओर पलायन करते हैं।
यह फिल्म झारखंड की पृष्ठभूमि में सूखा-सुखाड़-अकाल को समझने का सामूहिक अभ्यास है।

https://www.youtube.com/watch?v=lyfCyhgJeDY

एक प्रयास

फ़िल्म एक प्रयास का निर्माण संवाद द्वारा जुड़ाव के सहयोग से हुआ है। यह एक डाक्यूमेंटरी फ़िल्म है। देवघर जिला के अन्तर्गत मधुपुर प्रखन्ड के लालपुर गाँव में लिफ़्ट एरिगेशन के प्रयोग को दर्शाती यह फ़िल्म बताती है कि कैसे लालपुर गाँव के लोग पानी अपने गाँव में लाकर तथा जविक खेती के माध्यम से अपनी जिन्दगी बदलते हैं।

https://youtu.be/eorzuJXcfB8

हम हैं महिला किसान

फ़िल्म हम हैं महिला किसान का निर्माण संवाद द्वारा आरोह, लखनऊ के सहयोग से हुआ है। यह एक डाक्यूमेंटरी फ़िल्म है। खेती में महिलाओं का योगदान सबसे ज्यादा है फिर भी इनको किसान का हक नहीं मिलता है। महिला किसान की हकदारी की वकालत करती है यह फ़िल्म।
https://youtu.be/mdkr6lfduDo

लड़ाई जारी है

चंपारण में तमाम बड़े जमींदार की फाजिल जमीन सरकार ने भू-हदबंदी कानून बनाकर दलित भूमिहीनों में बांट दिया, लेकिन यह प्रक्रिया भी सिर्फ कागजों में ही चली...सिर्फ पश्चिम चंपारण जिले में लगभग 35 हजार ऐसे दलित-भूमिहीन हैं जिन्हें जमीन का पर्चा तो मिला लेकिन कब्जा नहीं. ऐसे पर्चे वाली तमाम भूमि दबंग पूर्व जमींदारों के कब्जे में है और, प्रशासन मूक दर्शक बना बैठा है। ऐसे में भूमिहीनों ने लड़ाई अपने ढंग से लड़ने की ठानी।
14 दिसंबर, 2007... एक ऐतिहासिक क्षण बना। उस दिन 162 दलित-भूमिहीन परिवारों ने अपने सतत् संघर्ष की बदौलत नौ एकड़ गैर मजरूआ मालिक जमीन पर मालिकाना हक पाया। इन परिवारों के एक साथ बसने से एक गांव का निर्माण हुआ जिसका नाम है 'गांधी-अंबेडकर ग्राम'। यह सुखद क्षण एक लंबे संघर्ष के बाद मिला।

https://www.youtube.com/watch?v=DCQoZg0cTnQ

एकल हैं कमजोर नहीं

एकल महिलाओं को संगठित करने की शुरूआत वर्ष 1999 में उदयपुर, राजस्थान में "आस्था संस्थान" की पहल से आरंभ हुई और आज संगठन देश के सात प्रदेशों राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, बिहार तथा पंजाब में फैल चुका है। आज संगठन सशक्त ढंग से एकल महिलाओं को संगठित कर उनमें आत्मविश्वास पैदा कर रहा है। उनके दर्द में सहभागी बन रहा है।

https://youtu.be/VZrDZ3v2mZU