चंपारण में तमाम बड़े जमींदार की फाजिल जमीन सरकार ने भू-हदबंदी कानून बनाकर दलित भूमिहीनों में बांट दिया, लेकिन यह प्रक्रिया भी सिर्फ कागजों में ही चली...सिर्फ पश्चिम चंपारण जिले में लगभग 35 हजार ऐसे दलित-भूमिहीन हैं जिन्हें जमीन का पर्चा तो मिला लेकिन कब्जा नहीं. ऐसे पर्चे वाली तमाम भूमि दबंग पूर्व जमींदारों के कब्जे में है और, प्रशासन मूक दर्शक बना बैठा है। ऐसे में भूमिहीनों ने लड़ाई अपने ढंग से लड़ने की ठानी।
14 दिसंबर, 2007... एक ऐतिहासिक क्षण बना। उस दिन 162 दलित-भूमिहीन परिवारों ने अपने सतत् संघर्ष की बदौलत नौ एकड़ गैर मजरूआ मालिक जमीन पर मालिकाना हक पाया। इन परिवारों के एक साथ बसने से एक गांव का निर्माण हुआ जिसका नाम है 'गांधी-अंबेडकर ग्राम'। यह सुखद क्षण एक लंबे संघर्ष के बाद मिला।
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